बद्रीनाथ धाम पर सफेद चादर अक्टूबर में 40 साल पुराना रिकॉर्ड टूटा, बर्फबारी ने बढ़ाई कड़ाके की ठंड

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चमोली

चमोली जनपद में बसा बद्रीनाथ धाम में अचानक बदले मौसम ने एक जादुई परिदृश्य रच दिया। अक्टूबर के पहले हफ्ते में ही शुरू हुई बर्फबारी ने न सिर्फ पहाड़ियों को सफेद चादर ओढ़ा दी, बल्कि 40 साल पुराने रिकॉर्ड को भी ध्वस्त कर दिया।
मौसम विभाग के अनुसार, सोमवार से लगातार हो रही बर्फबारी और बारिश ने पूरे चार धाम क्षेत्र यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। हेमकुंड साहिब और नीती-माणा घाटियों में भी चोटियां बर्फ से लकदक हो गईं, जिससे तापमान अचानक गिरकर शून्य के आसपास पहुंच गया। सुबह-सुबह जब धूप की पहली किरणें बद्रीनाथ मंदिर की ओर मुड़ीं, तो नजारा किसी स्वर्गिक दृश्य जैसा था। भक्तों और पर्यटकों के बीच चर्चा का विषय बना यह दृश्य वास्तव में कई वर्षों बाद अक्टूबर में देखा गया। स्थानीय निवासी राम सिंह, जो दशकों से धाम के आसपास रहते हैं, बताते हैं, पिछले सालों में नवंबर-दिसंबर में ही बर्फबारी का इंतजार रहता था, लेकिन इस बार तो मानो सर्दी ने जल्दबाजी कर दी। ठंड इतनी कि हड्डियां चुरचुराने लगीं। धाम के आसपास के गांवों में लोग ऊनी कपड़ों में लिपटे नजर आ रहे हैं, जबकि सड़कें बर्फ की परत से ढक गईं, जिससे यात्रा पर कोई असर नहीं पड़ा क्योंकि धाम का पोर्टल अभी खुला है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसे अप्रत्याशित मौसम बदलाव बढ़ रहे हैं। चमोली जिले में न्यूनतम तापमान माइनस 2 डिग्री सेल्सियस तक लुढ़क गया, जबकि ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी जारी है। प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है—यात्रियों को भारी ऊनी वस्त्र, गर्म जूते और स्वास्थ्य सावधानियां बरतने की सलाह दी गई है। फिर भी, यह बर्फीली चादर बद्रीनाथ की पवित्रता को और निखार रही है, जहां भगवान विष्णु के भक्तों का सैलाब कम नहीं हो रहा। क्या यह सर्दी का जल्दी आगमन प्रकृति का संकेत है या फिर हिमालय की गोद में बस एक और यादगार कहानी बद्रीनाथ धाम की यह बर्फीली सुंदरता निश्चित रूप से हर आने वाले को मंत्रमुग्ध कर देगी।

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